‘काेई बात चले’ (२०२२):- अरुका कुरा सुन्नेहरुका लागि !
प्रभाष
साेच का सूरज फिर निकले नादानी की रात ढले वाहवाही के आगाही के आगे भी काेई बात चले… अल्फ़ाज़ की नई राह बने जज़्बात का नयाँ पुल बँधे आप सुनाे, कुछ हम सुनाए मिल के एक तहज़ीब बने एक साझी…